Edited by Gopal Yadav | Aajtaklive News | Updated: 29 Jan 2024, 02:56 pm IST
वाराणसी: उत्तर प्रदेश में अनगिनत प्राचीन Varanasi: Tourist Place और रहस्यमय इमारतें Chunaar fort हैं और इनमें से एक विशेष स्थान वाराणसी करीब 30 किलोमीटर दूर मिर्जापुर में स्थित है। चुनार किला, जो यहां स्थित है,
एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और इसका इतिहास और रहस्यमय एक्सपीरियंस दर्शकों को प्रदान करता है। इस किले का उपन्यास और इतिहास दोनों ही इसे और भी रोमांटिक बनाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि देवकीनंदन खत्री की उपन्यास ‘चंद्रकंता’ इसी किले से प्रेरित होकर लिखा गया था।
चुनार किले का इतिहास:
मिर्जापुर में विभिन्न पर्यटन स्थलों में से एक होने के बावजूद, चुनार का किला विशेषता से भरपूर है। स्थानीय लोग इसे भगवान विष्णु के वामन अवतार से जोड़ते हैं और इसे धार्मिक महत्व का स्थान मानते हैं। साहित्यों में, इसे चरणाद्रि और नैनागढ़ के रूप में भी उल्लेख किया गया है। इसका जिक्र अबुल फजल के आइने अकबरी में भी मिलता है। इतिहासकारों के अनुसार, यहां उज्जैन के राजा महाराज विक्रमादित्य के छोटे भाई भरतरी नाथ ने तपस्या करते हुए अपने भाई के लिए गंगा किनारे एक दुर्ग बनवाया था। इस दुर्ग पर समय के साथ पृथ्वीराज चौहान, शहाबुद्दीन गौरी, सिंकदर शाह लोदी, बाबर और शेरशाह सूरी जैसे राजाओं का आधिपत्य रहा है। लेकिन आजकल, इस किले में ऐसे कई राज दफन हैं जिनका पता अब तक किसी को नहीं चला है।
Varanasi Tourist Place:चुनार किले की सुंदरता:
चुनार का किला कैमूर पर्वतमाला पर स्थित है और यहां का दृश्य बहुत ही आकर्षक है। गंगा नदी का पानी इस किले की सतह से टकराता है, जो इसे और भी प्राकृतिक बनाता है। इसकी वास्तुकला भी बहुत ही प्रभावशाली है, जिसमें 52 खंभों की छतरी और एक सुंदर सूर्य घड़ी शामिल हैं। इस किले की अंदरूनी दीवारें और संरचनाएं भी दर्शकों को मोहित करने में सक्षम हैं।
कैसे पहुंचें:
मिर्जापुर मुख्यालय से चुनार किले की दूरी करीब 38 किलोमीटर है और वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन से यह करीब 28 किलोमीटर की दूरी पर है। आप यहां बस या ऑटो का सही उपयोग करके पहुंच सकते हैं। आधे-घंटे की यात्रा के बाद, वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डे से भी यहां पहुंच सकते हैं।